30 साल सेवा के बाद न्याय की लड़ाई: Retired AEC Education Intructor ने सरकार और अदालत का दरवाजा खटखटाया 📚⚖️
नई दिल्ली: भारतीय सेना में 30 साल तक एक शैक्षिक प्रशिक्षक (Education Instructor) के रूप में सेवा देने के बाद रिटायर हुए एक पूर्व सैनिक ने अब अपने अधिकारों के लिए न्यायालय का रुख किया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा पहले से तय की गई नीतियों के बावजूद उनके हक को नकारा जा रहा है।
पूर्व सैनिक ने बताया कि श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने 1980 के दशक में एक पॉलिसी बनाई थी, जिसे समांतर स्थानांतरण नीति (Lateral Shift Policy) और प्रतिनियुक्ति सह पुनर्नियुक्ति (Deputation-cum-Re-employment) के नाम से जाना जाता है। यह नीति सेना के कर्मियों को रिटायरमेंट के बाद उन्हीं योग्यताओं के आधार पर नागरिक सेवाओं में समायोजित करने के लिए बनाई गई थी।


अदालती आदेश भी नजरअंदाज
इस मामले में दो हाई कोर्ट ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं:
1️⃣ ओडिशा हाई कोर्ट ने Priyadarsan Pradhan vs UOI के केस में 1986 के DOPT लेटर को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया।
2️⃣ दिल्ली हाई कोर्ट ने Girish Ahuja vs UOI के केस में कहा कि इस पूर्व सैनिक की सेवाओं को नेशनल ऑक्यूपेशनल स्टैंडर्ड (National Occupational Standard) के तहत मान्यता दी जानी चाहिए।
इसके बावजूद, न तो संबंधित संगठन ने भर्ती नियमों में बदलाव किया और न ही पूर्व सैनिक को उनके हक का लाभ मिला।
शिक्षक बनने का हक छिना
पूर्व सैनिक का कहना है कि वह टीजीटी ग्रेड शिक्षक (TGT Grade Teacher) के पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में उन्हें अयोग्य (Ineligible) करार दिया जाता है। “यह न केवल मेरी सेवा का अपमान है, बल्कि सरकार की अपनी नीतियों का उल्लंघन भी है,” उन्होंने कहा।
न्याय के लिए उच्च न्यायालय का रुख
अब पूर्व सैनिक इस मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है, “यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं है, बल्कि उन सभी का प्रतिनिधित्व करती है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं।” उन्होंने सहयोग के लिए एक लिंक साझा किया है, जहां लोग अपने रिटायरमेंट लाभों की सुरक्षा के लिए योगदान कर सकते हैं।
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यह मामला सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या यह लड़ाई अन्य सैनिकों के लिए भी एक नई दिशा तय करेगी? यह देखना बाकी है।
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