🔎 क्या सेना के जवानों को 4th CPC मैं कम Pay Scale दिया गया था और Military Service के बजेसे केबल Basic Pay मैं अंतर था?📢 5वें वेतन आयोग (5th CPC) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा!
📌 वेतन विसंगति: सेना के जवानों को कम वेतन क्यों?
रक्षा मंत्रालय (MoD) के विभिन्न विभागों में समान कौशल और जिम्मेदारियों वाले पदों की वेतन संरचना अलग-अलग रही है। सेना, वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के सिविलियन कर्मचारियों के वेतनमान की तुलना करने पर यह असमानता स्पष्ट दिखती है। फिलहाल एक Education Instructor के वेतनमान का विश्लेषण करते हैं, आगे सभी ट्रेडों का सटीक विश्लेषण किया जाएगा।
📊 वेतनमान तुलना
पद | वेतनमान (4th CPC) |
---|---|
MoD के सिविलियन PRT (प्राथमिक शिक्षक) | ₹1200-30-1560-40-2040 |
Air Force Education Instructor | ₹1350-25-1600-30-1750 |
Army Education Instructor | ₹1130-25-1380-30-1530 |
👉 पहली नजर में ऐसा लगता है कि वायुसेना एजुकेशन इंस्ट्रक्टर को अधिक वेतनमान दिया गया है, लेकिन क्या यह वास्तव में सही है? 🤔 सेना और वायुसेना दोनों के लिए मूल वेतनमान (Original Pay Scale) समान था: ➡️ ₹975-25-1150-30-1660। जब हम वेतनमान (Pay Scale) और बेसिक पे (Basic Pay) की बात करते हैं, तो पहले यह समझना जरूरी है कि दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
🏛️ Pay Scale vs Basic Pay – अंतर क्या है?
✅ Pay Scale (वेतनमान) – यह एक वेतन सीमा (pay range) होती है, जिसमें कर्मचारी का वेतन बढ़ता है। उदाहरण के लिए:
➡ ₹900-15-960-20-1120 (₹900 से शुरू, फिर 15 की वृद्धि, और अधिकतम ₹1120 तक जा सकता है)।
✅ Basic Pay (मूल वेतन) – यह Pay Scale के अंदर एक विशेष स्तर (particular pay) होता है, जिससे वेतन की गणना होती है।

🔍 सेना और सिविलियन का वेतनमान समान होने के बावजूद अंतर क्यों?
यदि सेना और सिविलियन दोनों का Pay Scale समान है, तो सेना के जवानों का Basic Pay अधिक क्यों रखा गया? 🤔
🚀 Military Service Pay (MSP) – सेना के जवानों के लिए विशेष वेतन
💡 MSP का उद्देश्य – सेना के जवानों को अतिरिक्त जोखिम भरे कार्यों, कठिन सेवा परिस्थितियों और युद्ध जैसी स्थितियों का सामना करने के लिए एक विशेष वेतन दिया जाता है।
📌 MSP का विकास – इतिहास पर नजर
🔹 पहले (5th CPC से पहले) – MSP का कोई अलग नाम नहीं था, लेकिन इसका असर Basic Pay में ही दिखता था। सेना के जवानों का Basic Pay सिविलियन कर्मचारियों से अधिक रखा जाता था, ताकि उनकी कठिन सेवा परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सके।
🔹 6th CPC (2006) – पहली बार Military Service Pay (MSP) को एक अलग विशेष वेतन के रूप में नाम और पहचान मिली। इससे पहले, यह Basic Pay के अंदर ही शामिल होता था।
🔹 7th CPC (2016) – MSP को जारी रखा गया और इसे वेतनमान (Pay Matrix) से अलग रखा गया, ताकि यह स्पष्ट रूप से सेना के जवानों को मिलने वाला एक विशेष वेतन बन सके।
📊 Basic Pay और MSP का संबंध – सेना बनाम सिविलियन
✅ पहले:
➡ सेना का Basic Pay सिविलियन से अधिक था, क्योंकि MSP का कोई अलग अस्तित्व नहीं था।📢 5वें वेतन आयोग (5th CPC) ने इस विसंगति को उजागर किया!
🔹 5th CPC ने स्पष्ट रूप से कहा:
“हमने पाया कि एक इन्फैंट्री सैनिक का मूल वेतन ₹900-15-960-20-1120 है, और वह वास्तव में ₹930 से शुरू करता है। हमने उनके कार्यों की बहुआयामी प्रकृति देखी और चौथे वेतन आयोग की इस बात से सहमति जताई कि एक इन्फैंट्री सैनिक की जिम्मेदारियां किसी अन्य सरकारी कर्मचारी से तुलनीय नहीं हैं।”
📌 इसका मतलब:
✅ सेना के जवानों की ड्यूटी, जिम्मेदारियां और खतरे किसी भी अन्य सरकारी कर्मचारी से काफी अलग और कठिन हैं।
✅ Basic Pay की तुलना करना उचित नहीं, क्योंकि सेना के जवानों की सेवा परिस्थितियां अलग होती हैं।
✅ सेना का वेतनमान (Pay Scale) और बेसिक पे (Basic Pay) समान/उचित होना चाहिए।
लेकिन सेना के कर्मियों को कम वेतनमान में रखा गया, जबकि वायुसेना के एजुकेशन इंस्ट्रक्टर का वेतन अधिक दिखाया गया।
🚨 स्पष्ट निष्कर्ष:
✔ रक्षा बलों के जवानों का बेसिक पे (Basic Pay) हमेशा अधिक होना चाहिए, ताकि समान सिविलियन वेतनमान वास्तव में समान हो।
❌ लेकिन यहां तो सेना का वेतनमान ही कम कर दिया गया!
⚠ यह विसंगति क्यों महत्वपूर्ण है?
✅ सेना के जवान कठिन परिस्थितियों में सेवा करते हैं, लेकिन उनका वेतनमान अन्य रक्षा संगठनों से कम क्यों रखा गया?
✅ समान कार्य, समान वेतन – यदि वायुसेना एजुकेशन इंस्ट्रक्टर और सेना के कर्मी समान स्तर पर हैं, तो सेना को कम वेतन क्यों दिया गया?
✅ 5वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की जरूरत – 5th CPC ने वेतन संरचना में समानता लाने के लिए Inter Services Committee बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।
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Details and authority के साथ विसंगति को बिल्कुल सही पकड़े हैं।
जरूरत है इसको सही तरीके से address किया जाए।