राज्य सरकार के कर्मचारियों का वेतन हमेशा से केंद्र सरकार के कर्मचारियों से थोड़ा कम रहा है। आमतौर पर केंद्र सरकार का वेतन आयोग लागू होने के बाद ही राज्य सरकार का वेतन आयोग आता है। जब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए छठा वेतन आयोग आया था, उस समय किसी भी राज्य सरकार ने छठा वेतन आयोग गठित नहीं किया था।
छठा वेतन आयोग लागू करते समय केंद्र सरकार ने कम्प्यूटेशन की Purchase Value घटा दी थी, जो एलआईसी द्वारा निर्धारित की गई थी। एलआईसी द्वारा तय किए गए फैक्टर का प्रतिशत घटा दिया गया था, जैसे कि पहले 40 साल की सेवा के बाद रिटायर होने पर Purchase Value 15.89 थी, जिसे घटाकर 9.090 कर दिया गया। इसके कारण कम्प्यूटेशन की वैल्यू कम हो गई।
इस कम्प्यूटेशन वैल्यू को 8% ब्याज दर पर रिकवर करने के लिए 15 साल निर्धारित किए गए। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह ब्याज दर 8% क्यों रखी गई, जबकि आरबीआई के मुताबिक रेपो रेट कभी ऊपर तो कभी नीचे होता रहता है। अगर 2006 से अब तक का आरबीआई का रेपो रेट देखा जाए तो यह औसतन 5.99% है। इसके मद्देनजर, जब कुछ राज्य सरकारों ने कम्प्यूटेशन रिकवरी की पॉलिसी निर्धारित की, तो उन्होंने रिकवरी पीरियड को 15 साल से घटाकर 12 साल कर दिया। जैसे कि केरल सरकार ने कम्प्यूटेशन का रिकवर 12 साल में किया, जबकि गुजरात ने 13 साल में किया।



संविधान के राइट टू इक्वालिटी के अनुसार, अगर Purchase Value और आरबीआई का रेपो रेट समान है, तो रिकवरी कैसे बढ़ सकती है? ओडिशा और केरल सरकार का मॉडल सही हो सकता है। केंद्र सरकार ने कम्प्यूटेशन वैल्यू को 15 साल में रिकवर करने का प्रावधान रखा है, जिसमें 8% ब्याज दर शामिल है। अगर एलआईसी द्वारा यह किया जा रहा है, तो कम्प्यूटेशन लेने वाले ग्राहक के हितों की सुरक्षा होनी चाहिए।
संविधान के राइट टू इक्वालिटी के अनुसार, अगर Purchase Value और आरबीआई का रेपो रेट समान है, तो रिकवरी कैसे बढ़ सकती है? केरल और गुजरात सरकार का मॉडल सही हो सकता है। केंद्र सरकार ने कम्प्यूटेशन वैल्यू को 15 साल में रिकवर करने का प्रावधान रखा है, जिसमें 8% ब्याज दर शामिल है। अगर एलआईसी द्वारा यह किया जा रहा है, तो कम्प्यूटेशन लेने वाले ग्राहक के हितों की सुरक्षा होनी चाहिए।
यह मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में उठाया गया था, जिसमें कहा गया कि कम्प्यूटेशन को 11.5 वर्षों में रिकवर किया जाना चाहिए। एक और मुद्दा यह है कि अगर किसी व्यक्ति का जीवन बीमा AGIF द्वारा कवर किया जाता है, तो उसका कम्प्यूटेशन भी AGIF से किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए दो अलग-अलग बीमा कंपनियों से बीमा करना उचित नहीं है। इसे एलआईसी के माध्यम से ही क्यों लिया जा रहा है, यह भी एक विचारणीय प्रश्न है।
इस मुद्दे पर होने वाली प्रगति के बारे में आपको हर दिन एक ब्लॉग पोस्ट पर जानकारी मिलती रहेगी।
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