🇮🇳 प्रमुख समाधान: सरकार की सशस्त्र बलों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक
रक्षा मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को प्रस्तुत रिपोर्ट में सशस्त्र बलों की 46 वेतन विसंगतियों को चिन्हित किया गया, जिनका समाधान सैनिकों के मनोबल और संतोष के लिए अत्यावश्यक है। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारी सरकार प्रोएक्टिव होकर उन मुद्दों को सुलझाने में लगी है जो सशस्त्र बलों के हित में हैं। देश के जवानों की मेहनत और त्याग को उचित सम्मान देने के लिए सरकार ने पाँच ठोस समाधान सुझाए हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:


1️⃣ समान वेतन संरचना (Common Pay Scale) – JCOs/OR के लिए
क्या है समस्या?
तीनों सेनाओं (थलसेना, नौसेना, वायुसेना) में JCOs/OR (Junior Commissioned Officers / Other Ranks) के लिए वेतन संरचना अलग-अलग है, जबकि उनकी शैक्षणिक योग्यता, कार्य का स्वरूप और रैंक समान हैं। इससे JCOs/OR के बीच वेतन असमानता बनी रहती है, जो उनके आत्मसम्मान और मनोबल को प्रभावित करती है।
सरकार द्वारा सुझाया गया समाधान:
👉 सरकार ने इस पुराने मुद्दे पर ध्यान देते हुए समान वेतन संरचना लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है।
- 01 जनवरी 2006 से पहले सेवा में कार्यरत JCOs/OR को समान वेतन संरचना का लाभ देने की सिफारिश की गई है।
- Y और Z ग्रुप के कर्मियों को X ग्रुप के सर्वोत्तम वेतनमान में अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया गया है।
- इसके लिए 6वें वेतन आयोग के 1.86 गुणक के आधार पर नई वेतन संरचना तय करने की योजना बनाई गई है।
सरकार का उद्देश्य:
यह पहल JCOs/OR के बीच मौजूद वेतन असमानता को खत्म कर उन्हें सम्मान और समानता का अहसास दिलाने के लिए है।
💰 वित्तीय प्रभाव: इस समाधान के क्रियान्वयन पर सरकार द्वारा अनुमानित वार्षिक खर्च ₹1191 करोड़ होगा, जो जवानों के मनोबल में वृद्धि के लिए एक आवश्यक निवेश है।
2️⃣ लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और ब्रिगेडियर के वेतन निर्धारण में सुधार
क्या है समस्या?
लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और ब्रिगेडियर को S-25 स्केल के आधार पर वेतन मिलना चाहिए था, लेकिन S-24 स्केल से उनका वेतन निर्धारण किया गया। इससे उन्हें एक या दो वेतन वृद्धि कम मिली, जिससे उनके वेतन में कमी आई।
सरकार द्वारा सुझाया गया समाधान:
👉 सरकार ने यह महसूस किया कि यह विसंगति सैनिकों के रुतबे को प्रभावित कर रही है। इसलिए सिफारिश की गई है कि—
- लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और ब्रिगेडियर के वेतन को S-25 स्केल के आधार पर संशोधित किया जाए।
- AMC, ADC, RVC के लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और ब्रिगेडियर का वेतन निर्धारण NPA (Non Practicing Allowance) सहित किया जाए।
💰 वित्तीय प्रभाव: इस संशोधन के लिए सरकार को ₹34.48 करोड़ का वार्षिक खर्च आएगा, लेकिन इससे अधिकारियों को उनका सही वेतनमान मिलेगा, जिससे वे अधिक गर्व और उत्साह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे।
3️⃣ ग्रेड पे की समीक्षा और वृद्धि (Review & Enhancement of Grade Pay)
क्या है समस्या?
सशस्त्र बलों के अधिकारियों को सिविल अधिकारियों की तुलना में कम ग्रेड पे दिया गया, जिससे उनका रुतबा एक पायदान नीचे आ गया। इससे उनके कार्यस्थल पर स्थिति और सम्मान प्रभावित हुआ।
सरकार द्वारा सुझाया गया समाधान:
👉 सरकार ने इस विसंगति को गंभीरता से लेते हुए ग्रेड पे को सिविल अधिकारियों के समान स्तर पर लाने की सिफारिश की है।
- हवलदार से लेकर सूबेदार मेजर तक के ग्रेड पे को पुनः निर्धारित किया जाएगा।
- अधिकारियों के ग्रेड पे को भी सिविल अधिकारियों के समान स्तर पर बढ़ाया जाएगा।
💰 वित्तीय प्रभाव: इस समाधान के क्रियान्वयन पर सरकार का अनुमानित खर्च ₹41 करोड़ होगा, लेकिन इससे सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
4️⃣ सभी लेफ्टिनेंट जनरल्स को HAG+ स्केल में रखना
क्या है समस्या?
लेफ्टिनेंट जनरल का पद DG Police के समकक्ष है, लेकिन वर्तमान में केवल 1/3 लेफ्टिनेंट जनरल्स को ही HAG+ स्केल दिया गया है। यह उनके पद और जिम्मेदारियों के साथ न्याय नहीं करता।
सरकार द्वारा सुझाया गया समाधान:
👉 सभी लेफ्टिनेंट जनरल्स को HAG+ स्केल में रखने की सिफारिश की गई है। इससे उनकी जिम्मेदारियों और रुतबे के साथ न्याय होगा।
💰 वित्तीय प्रभाव: इस समाधान के लिए अनुमानित वार्षिक खर्च ₹0.83 करोड़ होगा।
5️⃣ नॉन-फंक्शनल अपग्रेडेशन (Non-Functional Upgradation – NFU) का लाभ सशस्त्र बलों को भी देना
क्या है समस्या?
सिविल सेवाओं के अधिकारियों को Non-Functional Upgradation (NFU) का लाभ दिया जाता है, जिससे वे बिना प्रमोशन पाए ही अपने समकक्ष अधिकारियों के वेतनमान का लाभ ले सकते हैं। लेकिन सशस्त्र बलों को इस सुविधा से वंचित रखा गया है।
सरकार द्वारा सुझाया गया समाधान:
👉 सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए भी NFU लागू करने की सिफारिश की है, ताकि वेतनमान में असमानता को समाप्त किया जा सके।
💰 वित्तीय प्रभाव: इस समाधान के लिए अनुमानित खर्च ₹69 करोड़ होगा।
सरकार की प्रतिबद्धता: सैनिकों के सम्मान और हितों की रक्षा
यह सभी सुझाव इस बात को साबित करते हैं कि सरकार प्रोएक्टिव होकर सशस्त्र बलों के हित में कार्य कर रही है। इन समाधानों को लागू करके न केवल सैनिकों के मनोबल में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी मिलेगा कि सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
👉 यह कदम केवल वेतन सुधार नहीं है, बल्कि देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध सैनिकों के सम्मान और गरिमा की पुनर्स्थापना का प्रयास है।
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