📍भुवनेश्वर: एक game-changer कदम में, Hon’ble Odisha High Court ने भारतीय सेना के Junior Commissioned Officers (JCO) एक Gazetted Rank द्वारा दायर एक महत्वपूर्ण याचिका को स्वीकार कर लिया है। यह याचिका लंबे समय से चली आ रही pay और pension anomalies से जुड़ी है, जिसमें JCOs के साथ हो रहे pay disparity का मुद्दा उठाया गया है।
विषय सूची/Table of Content
⚖️ क्या है मामला? How Pay of JCO down grades the Gazetted Status?
भारतीय सेना अधिनियम, 1950 के अनुसार, JCOs gazetted officers हैं, लेकिन उन्हें वायु सेना और नौसेना के equivalent ranks के समान वेतनमान से वंचित रखा गया है। याचिका में कहा गया है कि जहां वायु सेना में Master Warrant Officer (MWO) – जो कि सेना में Naib Subedar के बराबर है – को 7th CPC Pay Level-8 (₹47,600) का वेतन मिलता है, वहीं Naib Subedar को केवल non-gazetted Pay Level-6 में रखा गया है।
👉 Fun fact: JCO सेना का एकमात्र gazetted rank है जो संसद के अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया है, फिर भी उन्हें अपने civilian counterparts से कम वेतन दिया जा रहा है! 😮
🚨 Pay Gap का Shock! Is the Pay gap of JCO downgrade the Gazetted Status?
रक्षा मंत्रालय के Section Officers (SO) और Assistant Accounts Officers (AAO), जो JCOs के समान जिम्मेदारियां निभाते हैं, उन्हें 5th CPC Basic Pay Rs. 6500/- 6th CPC Grade Pay 4800 with Basic Pay Rs. 13,350/- एवं 7th CPC Pay Level-8 with Basic Pay Rs. 47600/- में अपग्रेड किया गया है। जबकि JCOs को निचले स्तर पर ही छोड़ दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह Article 14 – Right to Equality का उल्लंघन है।

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📅 घटनाक्रम की Timeline
📆 12 फरवरी 1998 – Army HQ ने 5th CPC से JCOs की Pay Parity के लिए अनुरोध किया, जो अस्वीकार कर दिया गया।
📆 30 अगस्त 2008 – 6th CPC लागू हुआ, लेकिन JCOs की Pay Anomaly को हल नहीं किया गया।
📆 09 जुलाई 2012 – PMO ने सशस्त्र बलों की वेतन विसंगतियों की समीक्षा के लिए उच्च-स्तरीय समिति बनाई।
📆 28 जनवरी 2015 – Army HQ ने फिर से Naib Subedars की Pay Correction के लिए 7th CPC को सिफारिश भेजी।
📆 27 अगस्त 2024 – याचिकाकर्ताओं ने CPGRAMS में शिकायत दर्ज की, जिसे 03 सितंबर 2024 को खारिज कर दिया गया।
📆 04 फरवरी 2024 – Odisha High Court में याचिका दायर की गई।
🏛️ क्यों पहुंचना पड़ा High Court?
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि Odisha में Armed Forces Tribunal (AFT) Bench की अनुपलब्धता के कारण, उन्होंने High Court के extraordinary writ jurisdiction (Article 226) का सहारा लिया। याचिका में वे correct pay fixation, pension revision और सभी financial benefits की मांग कर रहे हैं।
🔥 क्यों है ये मामला Important?
यह केस JCOs और अन्य सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए एक milestone साबित हो सकता है, जो लंबे समय से pay parity की बात Pay Commission कहते आरहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी रक्षा नागरिकों के लिए pay equality के पक्ष में फैसले दिए हैं, जिससे JCOs को समान मिलने की उम्मीद बढ़ जाता है।
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